
रायगढ़.छत्तीसगढ़ मे राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के 16000 कर्मचारी अपनी 10 सूत्रीय मांग को लेकर विगत 18 अगस्त से हड़ताल पर है. उनके अपनी मांगों पर ध्यान आकृष्ट करने के लिए हड़ताल स्थल पर सरकार के सद्बुद्धि के लिए हवन करा कर, मुंडन कराकर, शव यात्रा निकालकर, चुनरी यात्रा निकाल ध्यान आकृष्ट करने का प्रयास किया. साथ ही कर्मचारियों ने तिरंगा यात्रा निकाली, खून से पत्र लिखकर विरोध जताया, रंगोली बनाकर संदेश दिया और सरकार द्वारा जारी किए गए निलंबन पत्र को सार्वजनिक रूप से जलाया. लेकिन सारे प्रयास विफल हुए. हड़ताल के 20 दिन हो चुके हैं लेकिन सरकार द्वारा मांगों स्वीकार नहीं किया गया है बल्कि दमनात्मक कार्यवाही करते हुए 25 कर्मचारियों को बर्खास्त कर दिया गया. ट्रेड यूनियन काउंसिल के उपाध्यक्ष शेख कलीमुल्लाह ने सरकार की दमनात्मक कार्यवाही की निंदा की है. उनका कहना है कि विधानसभा चुनाव में मोदी की गारंटी के तहत संविदा कर्मचारियों की नियमितीकरण की बात कही गई थी. लेकिन सरकार बनने के बाद विष्णु देव सरकार द्वारा मांगो के परीक्षण के लिए कमेटी बना दी गई लेकिन कमेटी कि अभी तक बैठक भी नहीं हुई है. ऐसा प्रतीत होता है कि सरकारी इस मामले में संजीदा नहीं है जबकि पड़ोसी राज्य मध्य प्रदेश में राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन कर्मचारियों के लिए सार्थक प्रयास करते हुए स्थायित्व / जाब सुरक्षा, ग्रेड पे का निर्धारण, अनुकंपा नियुक्ति,नियमित कर्मचारी भर्ती में 50% आरक्षण, स्थानांतरण की सुविधा, नई पेंशन स्कीम का लाभ जैसे आदेश कर उन्हें सामाजिक सुरक्षा प्रदान की गई है. छत्तीसगढ़ के भी स्वास्थ्य कर्मचारी इसी तरह के आदेश की अपेक्षा कर रहे हैं. शेख कलीमुल्लाह ने कहा है कि विगत 20 वर्षों से राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन कर्मचारियों ने अपनी मेहनत से छत्तीसगढ़ की स्वास्थ्य व्यवस्था को सुदृढ़ किया है. 20 वर्षों के पश्चात यदि कर्मचारी अपनी स्थाईकरण की मांग कर रहे हैं तो शासन को मोदी की गारंटी से परे भी मानवीय आधार पर भी इस तरह की सुरक्षा दी जानी चाहिए. उन्होंने कहा कि दमनात्मक कार्यवाही से आंदोलन और मजबूत होता है यही वजह है कि प्रदेश के सभी राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन कर्मचारियों ने अपने इस्तीफा दे दिए हैं उन्होंने मुख्यमंत्री विष्णु देव साय से अपील की है कि राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन कर्मचारीयो पर बर्खास्तगी की कार्रवाई करने के बजाय उनके जायज मांगो के ठोस कार्रवाई करते हुए समुचित आदेश जारी करें और मोदी की गारंटी को लागू करें.
