

रायगढ़ 40 वे चक्रधर समारोह के चौथे दिन आज इंदिरा कला एवं संगीत विश्वविद्यालय खैरागढ़ के छात्रों द्वारा छत्तीसगढ़ी संस्कृति पर आधारित विविध छत्तीसगढ़ी लोक नृत्य की मन को छूने और झुमाने वाली आकर्षक प्रस्तुति दी। उन्होंने सबसे पहले गणपति जगवंदन और गजानन स्वामी के जयकारे से अपने प्रस्तुति की शुरुआत की। कार्यक्रम स्थल पर दूर-दूर से पहुंचे सभी दर्शकों को आज कत्थक,भरतनाट्यम, ओडिसी,तबला,संतूर,सितार, भजन,गजल जैसे विभिन्न शास्त्रीय कलाओं के साथ साथ छत्तीसगढ़ के कलसा,ठीसकी चटकोला,रैला-रीना और करमा लोकनृत्य के रंगो में भी डूबने का अवसर मिला। छात्रों ने सिर पर कलश रखकर अद्भुत कलसा नृत्य का प्रदर्शन किया। जिसने छत्तीसगढ़ की लोक आस्था,पारंपरिक जीवन शैली और कलात्मक कौशल को बखूबी दर्शाया। जिससे पूरा चक्रधर समारोह छत्तीसगढ़ी लोक संस्कृति से सराबोर हो गया। इंदिरा कला एवं संगीत विश्वविद्यालय खैरागढ़ प्रदर्शन एवं ललित कलाओं के शोध में अग्रणी संस्थान है। यह कला, फैशन डिजाइनिंग,उच्च स्तरीय शोध कार्य आदि विभिन्न गतिविधियों के लिए संपन्न है। यह संस्थान लोक कला के प्रचार व संरक्षण के लिए लगातार कार्य कर रहा है। आज चक्रधर समारोह में कला विश्वविद्यालय खैरागढ़ की टीम द्वारा विभिन्न लोककला का प्रदर्शन एवं निर्देशन डॉ.दीपशिखा पटेल, सहायक प्राध्यापक,लोकसंगीत विभाग के निर्देशन में और प्रो. राजन यादव,अधिष्ठाता, लोक संगीत एवं कला संकाय के मार्गदर्शन में प्रस्तुत किया गया तथा संरक्षिका के दायित्व में कुलपति इंदिरा कला एवं संगीत विश्वविद्यालय खैरागढ़ की प्रो.डॉक्टर लवली शर्मा शामिल हुई। विभिन्न लोक नृत्य के प्रदर्शन में श्री ठेकाराम,श्री सर्वजीत बांबेश्वर,श्री सिद्दार्थ दिवाकर,श्री डेरहु,श्री खगेश पैकरा,श्री खगेश पैकरा,श्री धीरेन्द्र निषाद,कुमारी डिम्पल पुलसत्य,कुमारी वंदना, कुमारी खुशी वर्मा,कुमारी नम्रता गांवर,कुमारी हर्षलता साहू,कुमारी खुलेश्वरी पटेल ने मनमोहक प्रस्तुति दी। साथ ही गायन पक्ष डॉ.परमानंद पाण्डेय,श्री हर्ष चंद्राकर,श्री मनीष,कुमारी सौम्या सोनी और कुमारी साक्षी गढ़पायले द्वारा किया गया।
