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अनंत जन्मों का पुण्य,मात्र एक पाप से नष्ट हो जाता है.. आचार्य श्रीकृष्णा,शाकुंतलम मे भागवतकथा सुनने श्रद्धालुओं की भारी भीड़बापोड़िया परिवार का भव्य आयोजन

रायगढ़ स्थानीय पहाड़ मंदिर पीछे शाकुंतलम परिसर में नगर के प्रतिष्ठित व्यवसाई बापोड़िया परिवार द्वारा 25 अगस्त से 31अगस्त तक के लिए आयोजित श्रीमद्भागवत कथा पुराण के तीसरे दिन बुधवार को कथा सुनाते हुए व्यास पीठ से सुप्रसिद्ध भागवताचार्य आचार्य श्रीकृष्णा जी ने बताया कि मनुष्य जीवन मे जाने अनजाने कई तरह के पाप हो जाते हैं,जिनका ईश्वर के समक्ष प्रायश्चित करना ही एक मात्र मुक्ति पाने का उपाय है।उन्होने कहा कि विद्वान् और भक्त व्यक्ति को क्रोध से बचना चाहिए।क्रोध अनर्थ की जड़ है।अपनी वाणी को संयमित रखना चाहिए अन्यथा अनंत जन्मों के पुण्य एक पाप के कारण नष्ट हो जाते हैं।स्वयंभू मनु ने भी महराज ध्रुव को क्रोध से दूर रहने की शिक्षा दी थी। उन्होने बताया कि भगवान को पाने के लिए भजन और सत्संग का मार्ग अपनाना चाहिए।”आया है सो जाएगा,राजा रंक फकीर”।खाली हांथ आया है खाली हांथ जाएगा।इसलिए कर्मो की गठरी सम्हाल कर रखो।अन्यथा विमान तैयार है चाहे वो धर्मराज का हो अथवा यमराज का।
व्यास पीठ से कथा के तीसरे दिवस पृथू भगवान की कथा,स्वयंभू मनु की संतान प्रियब्रत्त और उत्तानपाद की कथा,ऋषभदेव जी की कथा जिनके 100 पुत्र थे।वे अपने सभी पुत्रों को बिठाते हैं,उन्हें सत्कर्मों के निमित्त उपदेश देते हैं।एक पिता का यह कर्तव्य होता है कि वह अपनी संतान को शिक्षा दीक्षा देने के साथ साथ उन्हें अच्छे संस्कार के लिए वेद ग्रंथों का रसास्वादन भी कराए तभी मां बाप के प्रति बच्चों की आस्था कायम रहेगी। व्यास जी कहते हैं कि जीवन मे विचारों की श्रेष्ठता ग्रंथों से ही आएगी।उन्होने जड़ भरत की कथा का उल्लेख करते हुए कहा कि अपना संपूर्ण जीवन भगवान के लिए समर्पित करने वाले हिरण के चक्कर मे नष्ट कर लिया।व्यास पीठ से कथाविद आचार्य श्रीकृष्णा जी ने बताया कि संसार मे 28 प्रकार के नर्क बनाए गए हैं।जिनमे प्रमुख रूप से झूठ,छल, दिखावा,मन मे बुरे विचार,खानपान में मलीनता,निंदा आदि है,तो नर्क जाने से कोई नहीं रोक सकता।यद्यपि गोविंद की भक्ति मानव दानव सभी ने की है और सभी पर कुछ न कुछ कृपा गोविंद की हुई है।व्यास जी ने बृत्तासुर की कथा पर प्रकाश डालते हुए कहा कि वृत्तासुर भगवान इंद्र को युद्ध मे परास्त कर मारना चाहता था।वह नारायण का भक्त था और उनसे मदद भी मांगी और भगवान ने उसे ब्रह्मास्त्र देकर मदद भी की किंतु देवराज इंद्र भी नारायण के भक्त थे इसलिए उनकी भी रक्षा प्रभू के लिए जरूरी थी।कथा मे हिरणयकश्यप और भक्त प्रह्लाद की कथा का वर्णन करते हुए भक्त श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया। आचार्य श्रीकृष्णा जी ने सुमधुर संगीत मई कथा से श्रद्धालु भक्तगणों को भावविभोर कर दिया उन्होंने दक्ष प्रजापति,सती चरित्र,कपिल चरित्र और सृष्टि के वर्णन जैसे विषयों पर प्रकाश डाला मसंगीतमई कथा के दौरान श्रद्धालु श्रोता आनंद मे झूमते रहे।कथा सुनने विशिष्ठ जनों की उपस्थिति रही*मुख्य यजमान बापोड़िया परिवार के प्रमोद बापोड़िया,राजेंद्र बापोड़िया,गोपाल बापोड़िया, किशोर बापोड़िया, अनिल बापोड़िया सह दंपत्ति एवं सदस्यों द्वारा पितृगणों के निमित्त शाकुन्तलम आउटर मे आयोजित श्रीमद्भागवत कथा पुराण को सुनने श्रोताओं की बड़ी भीड़ उमड़ रही है वहीं अंचल के गणमान्य हस्तियों की भी कथा श्रवण हेतु सराहनीय उपस्थिति हो रही है जिनमे प्रमुख रूप से सुनील जिंदल, संजय जिंदल,मुकेश मित्तल,बंटी डालमिया,अनिल डालमिया,राजेश दयाल,बलबीर शर्मा, मोहन आलू,अजय संजय,पवन अग्रवाल, रूसेन कुमार,किशन बंसल,के के बंसल,दीपक अमलडीहा,बजरंग जूटमिल,साकेत गर्ग, हरिओम रतेरिया सुभाष अग्रवाल मिकचर,अशोक अग्रवाल,अजय मेडिकल,अनिमेष गोयल सहित बड़ी संख्या मे महिला पुरुष श्रद्धालुओं की उपस्थिति रही।

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