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खाद की कमी और बिजली कटौती के बाद आयुष्मान में भी इलाज बंद,18 महीने में छत्तीसगढ़ का खाद्य, बिजली और स्वास्थ्य व्यवस्था चौपट:दीपक मंडल

रायगढ़ खाद आपूर्ति के सरकारी दावों के बावजूद, किसान खाली हाथ लौट रहे हैं। अघोषित बिजली कटौती से छत्तीसगढ़ की आम आदमी परेशान हो रहे हैं। निजी अस्पतालो में आयुष्मान कार्ड धारकों को इलाज की सुविधा नहीं मिल रहा है। छत्तीसगढ़ में भाजपा की डबल इंजन की सरकार का इंजन पूरी तरह फेल हो गया है। प्रदेश की विष्णु देव साय सरकार के 18 महीने के कार्यकाल से आम जनता को निराशा के अलावा कुछ हासिल नहीं हुआ है। उक्त वक्तव्य रायगढ़ जिला कांग्रेस कमेटी के प्रवक्ता दीपक मंडल ने प्रेस विज्ञप्ति जारी कर कहा है। उन्होंने बताया कि प्रदेश की आम जनता के मूलभूत जरूरत और सुविधा में सरकार जानबूझकर कमी कर रही है पहले छत्तीसगढ़ के किसानों को डीएपी खाद नहीं मिला अब यूरिया की कमी और कालाबाजारी किसी से छुपी नहीं है। कांग्रेस प्रवक्ता दीपक मंडल ने बताया कि खाद की कमी, बिजली कटौती के बाद अब निजी अस्पतालों में आयुष्मान कार्ड धारकों को इलाज नहीं मिल पा रहा है। प्रदेश की भाजपा सरकार अपना प्रशासनिक नियंत्रण खो चुकी है आम जनता का भरोसा अब इस सरकार पर नहीं रहा छत्तीसगढ का हर वर्ग आंदोलित है। किसान सड़क पर आंदोलन कर रहे हैं। एनएचएम कर्मचारी हड़ताल पर हैं। छत्तीसगढ़ कर्मचारी फैडरेशन मोदी की गारंटी पूरा करने को कह रहे हैं।किसानों के मनोबल और विकास पर असरकांग्रेस प्रवक्ता ने कहा “छत्तीसगढ़ पहले ही किसान आत्महत्या के मामलों में शीर्ष राज्यों में है.यह उर्वरक संकट कृषि संकट को और बढ़ाएगा और किसानों को कर्ज और निराशा की गहरी खाई में धकेल देगा.”छत्तीसगढ़ में उर्वरक की कमी केवल कृषि उत्पादन पर असर नहीं डाल रही, बल्कि यह किसानों के मनोबल और आर्थिक स्थिरता पर गहरा असर डाल रही है. यदि राज्य सरकार समय रहते महत्वपूर्ण कदम नहीं उठाती है,तो इसका सामाजिक, आर्थिक और मानवीय प्रभाव गंभीर रूप ले सकता है। कांग्रेस इस मामले को लेकर सड़क पर उतरेगी।मिडिल क्लास और किसान प्रभावितमंडल ने कहा पहले 400 यूनिट बिजली हाफ योजना बंद किया अब छत्तीसगढ़ के अघोषित बिजली कटौती बड़ी समस्या बन गई है। ग्रामीणों को परेशानी हो रही है। दैनिक जीवन बुरी तरह प्रभावित हो रहा है। सबसे ज्यादा परेशानी बारिश के दिनों में होती है। गांव में जहरीले जीव जंतु सबसे अधिक निकलते हैं,उन्हें 24 घंटे जान का खतरा बना रहता है। ग्रामीणों के अनुसार बिजली कभी भी दिन हो या रात गुल हो जाती है।

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