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रायगढ़ पुलिस कंट्रोल रूम में सड़क दुर्घटनाओं और मुआवजा दावों पर केंद्रित कार्यशाला आय कार्यशाला में सहभागिता के लिये अधिवक्ता महेंद्र सिंह यादव को पुलिस अधीक्षक द्वारा प्रतीक चिन्ह भेंट की

रायगढ़ पुलिस कंट्रोल रूम रायगढ़ में शनिवार को सड़क दुर्घटना से जुड़े प्रकरणों की विवेचना और मोटर दुर्घटना दावा न्यायाधिकरण (एमएसीटी) के माध्यम से पीड़ितों को मुआवजा दिलाने की प्रक्रिया पर आधारित एक विशेष कार्यशाला का आयोजन किया गया। पुलिस अधीक्षक दिव्यांग कुमार पटेल के मार्गदर्शन में त्रुटिरहित अपराध विवेचना और न्यायालय में सजा प्रतिशत बढ़ाने के नवाचार प्रयासों के तहत प्रत्येक शनिवार को इस प्रकार की कार्यशाला नियमित रूप से आयोजित की जा रही है, जिसका उद्देश्य विवेचकों को अद्यतन जानकारी देना और उनके कौशल को निखारना इस शनिवार आयोजित कार्यशाला में सड़क दुर्घटनाओं और एमएसीटी मामलों पर आधारित न्यायालयीन निर्णयों के विश्लेषण और प्रस्तुति के लिए निरीक्षक नासिर खान (साइबर सेल), सहायक उप निरीक्षक नंद कुमार सारथी (थाना चक्रधरनगर) और प्रधान आरक्षक सतीश पाठक (थाना जूटमिल) को वक्ता के रूप मंह चुना गया। वहीं, विशेष वक्ता के रूप में अधिवक्ता महेंद्र सिंह यादव को आमंत्रित किया गया, जो एमएसीटी मामलों में विशेषज्ञ माने जाते हैं। कार्यशाला के पहले चरण में निरीक्षक नासिर खान और एएसआई नंद कुमार सारथी ने सड़क दुर्घटनाओं से संबंधित प्रकरणों के निर्णयों का गहन अध्ययन प्रस्तुत किया और पुलिस विवेचना में पाई गई त्रुटियों के साथ-साथ उत्कृष्ठ विवेचना के उदाहरणों पर भी प्रकाश डाला। इसके बाद पुलिस अधीक्षक पटेल और अन्य राजपत्रित अधिकारियों ने उपस्थित एवं वर्चुअल रूप से जुड़े पुलिस अधिकारियों को त्रुटियों के निराकरण के संबंध में मार्गदर्शन प्रदान किया।दूसरे चरण में अधिवक्ता महेंद्र सिंह यादव ने न्यायालयीन प्रक्रिया में पुलिस विवेचना में अपेक्षित साक्ष्यों और मोटर दुर्घटना दावा न्यायाधिकरण में ग्राह्य दस्तावेजों की महत्ता पर विस्तार से चर्चा की। उन्होंने बताया कि कैसे सटीक और सुसंगत साक्ष्य पेश कर पीड़ितों को शीघ्र मुआवजा दिलाया जा सकता है। कार्यशाला में सहभागिता के लिए अधिवक्ता श्री महेंद्र सिंह यादव को पुलिस अधीक्षक द्वारा प्रतीक चिन्ह भेंट कर उनका आभार व्यक्त किया गया। पुलिस अधीक्षक पटेल ने कार्यशाला के समापन अवसर पर कहा कि सड़क दुर्घटनाओं के मामलों में पीड़ितों को न्याय और उचित क्षतिपूर्ति दिलाने के लिए विवेचकों को ठोस और तथ्यों पर आधारित विवेचना प्रस्तुत करनी चाहिए। प्रधान आरक्षक सतीश पाठक ने अपने केस स्टडी के माध्यम से खरसिया और धरमजयगढ़ थाना क्षेत्रों में सड़क दुर्घटना मामलों की विवेचना के व्यावहारिक अनुभव साझा किए। कार्यशाला में जिला मुख्यालय के समस्त पुलिस राजपत्रित अधिकारी, थाना व चौकी प्रभारी अपने विवेचकों के साथ सशरीर उपस्थित रहे, जबकि तहसील स्तरीय थानों से अधिकारीगण वर्चुअल रूप से जुड़े। इस नवाचारपूर्ण पहल से पुलिस विवेचना अधिकारियों को सड़क दुर्घटना मामलों में कानूनी प्रक्रिया और साक्ष्य संकलन की बारीकियों को समझने का महत्वपूर्ण अवसर मिल रहा है, जिससे पीड़ितों को शीघ्र और प्रभावी न्याय दिलाने में सहायता होगी।

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