
रायगढ़ वित्त मंत्री ओपी चौधरी जी की भावनात्मक पोस्ट,विकास की असलियत को छिपाने की कोशिश जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ जे के रायगढ़ जिला उपाध्यक्ष श्री प्रिंकल दास ने मंत्री ओपी चौधरी जी के द्वारा सोशल मीडिया पर साझा की गई पोस्ट की कड़ी निंदा की है, जिसमें राज्य गठन से पूर्व की चुनौतियों का उल्लेख कर वर्तमान सरकार की नाकामियों को ढकने का प्रयास किया गया है। जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ के प्रिंकल दास ने कहा माननीय मंत्री जी,आपकी पोस्ट पढ़ा,जिसमें छत्तीसगढ़ के राज्य बनने से पहले की चुनौतियों का जिक्र है। निश्चित रूप से,मध्यप्रदेश का हिस्सा रहते हुए छत्तीसगढ़ को कई अन्याय झेलने पड़े,और राज्य गठन एक ऐतिहासिक कदम था। लेकिन आपका तर्क कुछ आधा-अधूरा और चुनिंदा लगता है।:बिजली बनती थी, उजाला इंदौर-भोपाल में?सही है कि कोरबा जैसे पावर हब से बिजली मध्यप्रदेश के अन्य हिस्सों को जाती थी। लेकिन क्या आप बता सकते हैं कि 2000 में अलग राज्य बनने के बाद भी छत्तीसगढ़ बिजली सरप्लस राज्य क्यों बना रहा? NTPC और राज्य की कई यूनिट्स तो 1980-90 के दशक में ही लगी थीं। असल समस्या थी ट्रांसमिशन लॉस और वितरण की नाकामी—जो आज भी ग्रामीण इलाकों में 20-30% तक है। राज्य बनने के 24 साल बाद भी बस्तर के कई गांवों में 24 घंटे बिजली नहीं है।
तो उजाला” का लाभ कब पहुंचेगा?बस्तर की खदानें, लाभ स्थानीय को नहीं?बिल्कुल, NMDC bailadila से लोहा निकलता था, लेकिन लाभ ज्यादातर केंद्र को जाता था। लेकिन मंत्री जी, आज NMDC अभी भी केंद्र की PSU है। राज्य को रॉयल्टी मिलती है, पर स्थानीय रोजगार? बस्तर में Naxal प्रभावित इलाकों में खदानों के आसपास आदिवासी बेरोजगार हैं। Rowghat प्रोजेक्ट सालों से अटका है। तेजस और मंगलयान में एल्यूमिनियम BALCO से गया—लेकिन BALCO का निजीकरण 2001 में ही हो गया। Vedanta को फायदा, स्थानीय को धूल और प्रदूषण। “अमीर धरती के गरीब लोग” का टैग आज भी क्यों चस्पा है?वन संपदा 44%, लाभ जनजीवन तक नहीं?जंगल तो हैं,लेकिन वन अधिकार कानून 2006 के बावजूद हजारों आदिवासी PATTA से वंचित हैं। लघु वनोपज (तेंदू पत्ता, महुआ) का संग्रहण ठेकेदारों के हाथ में है। राज्य सरकार की नीतियां सहकारी समितियों को मजबूत करने में नाकाम रही हैं। माइनिंग के नाम पर जंगलों की कटाई बढ़ी—बस्तर में Hasdeo Arand जैसे इलाके कोयला खदान के लिए काटे जा रहे हैं। विकास के नाम पर पर्यावरण और आदिवासी अधिकारों का बलिदान—यही “लाभ”है?
रत्नगर्भा धरती, फिर भी विकास नहीं?सीमेंट,बॉक्साइट,कोयला—सब हैं। लेकिन HDI में छत्तीसगढ़ आज भी निचले पायदान पर है। बाल मृत्यु दर,कुपोषण में अव्वल
रायपुर-बिलासपुर कॉरिडोर चमकता है,लेकिन सुकमा-दंतेवाड़ा अंधेरे में। राज्य बनने के बाद 3-3 सरकारें आईं, पर इंफ्रास्ट्रक्चर असमान क्यों? रेलवे प्रोजेक्ट्स (दल्लीराजहरा-रावघाट) दशकों से लटके हैं। केंद्र से विशेष पैकेज मिला,फिर भी NITI Aayog की SDG इंडेक्स में छत्तीसगढ़ मध्यक्रम में।मंत्री जी, राज्य गठन जरूरी था, लेकिन 1 नवंबर 2000 के बाद की जिम्मेदारी आपकी सरकारों की ज्यादा है। पहले” की कहानी सुनाकर अब”की नाकामियों को छिपाना जनता को गुमराह करना है। असल सवाल यह है:24 साल बाद भी “अमीर धरती के गरीब लोग” का ठप्पा क्यों नहीं हटा?क्या इसके लिए सिर्फ “पहले” को दोष देंगे,या अपनी नीतियों की समीक्षा करेंगे?जनता जवाब मांग रही है।



