जशपुर।छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय के गृहग्राम बगिया स्थित आश्रम छात्रावास में सर्पदंश से तीसरी कक्षा के छात्र की मौत ने पूरे प्रशासनिक तंत्र की संवेदनहीनता,लापरवाही और भ्रष्टाचार को उजागर कर दिया है।पूर्व विधायक एवं संसदीय सचिव यू.डी.मिंज ने इस दुखद घटना को शासन-प्रशासन की असफलता करार देते हुए तीखी प्रतिक्रिया दी है।यू.डी.मिंज ने कहा कि “एक मासूम की मौत के बाद महज एक अधीक्षक और भृत्य पर कार्रवाई कर शासन अपनी जिम्मेदारी से नहीं बच सकता।”मुख्यमंत्री के गृहग्राम बगिया में यदि ऐसा हो रहा है, तो बगीचा, मनोरा दुल दुला के दूरस्थ क्षेत्रों के छात्रावासों की स्थिति सोचकर ही डर लगता है।”पूरा ट्राइबल विभाग प्रभारी के भरोसे चल रहा है”यू.डी.मिंज ने ट्राइबल विभाग की गंभीर अनियमितताओं का खुलासा करते हुए बताया कि ट्राइबल विभाग में सहायक आयुक्त प्रभारी हैं,उनके ऊपर डिप्टी कलेक्टर भी प्रभारी है।मंडल संयोजक जैसे महत्वपूर्ण पद पर पैसे लेकर 12 वीं पास सहायक शिक्षकों की नियुक्ति कर दी गई है,ताकि उन पर दबाव बनाकर कमीशनखोरी की खुली छूट दी जा सके।कई जगहों पर छात्रावास अधीक्षक भी शिक्षकों को ही बना दिया गया है, जिनका ध्यान छात्रों की देखभाल पर नहीं बल्कि ‘एक चम्मच मलाई’ पर टिका है।छात्रावास अधीक्षक कमीशन एजेंट बन चुके हैं”उन्होंने कहा कि,अनेक छात्रावास अधीक्षकों को एक साथ दो-तीन छात्रावासों का प्रभार दे दिया गया है, और मंडल संयोजकों को दो-दो ब्लॉक संभालने की जिम्मेदारी दी गई है। यह एक गंभीर प्रशासनिक विफलता है।यू.डी.मिंज ने सवाल उठाया कि “क्या शासन वाकई चाहता है कि गरीब आदिवासी बच्चों की जान यूं ही जाती रहे?क्या संवेदनशीलता सिर्फ बयानों तक सीमित है?उन्होंने चेताया कि “बगिया में छात्र की मौत सिर्फ एक दुर्घटना नहीं,यह व्यवस्था के सड़ने और मरने का संकेत है।अगर शासन अब भी नहीं जागा तो भविष्य में ऐसी घटनाएं और बढ़ेंगी।यू.डी.मिंज की मांग:तत्काल कार्रवाई हो पूर्व विधायक ने मांग की कि”ट्राइबल विभाग के प्रभारी सहायक आयुक्त,मंडल संयोजक,सभी जिम्मेदार अधिकारियों को तत्काल निलंबित किया जाए। मृतक बच्चे के परिवार को तत्काल समुचित मुआवजा दिया जाए। सभी छात्रावासों की स्वतंत्र जांच कर अनियमितताओं को समाप्त किया जाए।उन्होंने अंत में कहा:सरकार को दिखावे के बजाय जमीन पर संवेदनशीलता दिखानी होगी। नहीं तो यह स्पष्ट हो जाएगा कि यह शासन सिर्फ चाटुकारों के लिए है, बच्चों के लिए नहीं।”



