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अजीत भोगल के हाथों सूर्या हाउस का गृह प्रवेश संपन्नपतरापाली में मजदूर नेता गनपत चौहान ने बनाया आशियाना

ढोल-नगाड़े और कर्मा नृत्य पर झूमे अतिथि’आतिशबाजी व पुष्पाहार के स्वागत से हुए आत्म विभोर

बरौद कालरी प्रसिद्ध मजदूर नेता एवं समाजसेवी गनपत चौहान ने बुधवार को ग्राम पतरापाली में अपने बाल सखा अजीत सिंह भोगल बिलासपुर के आतिथ्य में सूर्या हाउस में गृह प्रवेश किया। इस अवसर पर बड़ी संख्या में क्षेत्रीय जनप्रतिनिधि एवं ग्रामीणों ने चौहान परिवार के साथ खुशियां साझा की।एसईसीएल बरौद उपक्षेत्र में सर्विस पूरी करने के बाद लोगों में उनके प्रति आत्मीयता व विश्वास को न भुला पाने वाले छत्तीसगढ़ के प्रसिद्ध मजदूर नेता एवं अग्रणी समाजसेवी गनपत चौहान ने बरौद कालोनी से लगे ग्राम पतरापाली में अपना नया आशियाना बना लिया। यहां उनकी बड़ी बहन रहती हैं। उन्होंने बुधवार को अपने अजीज साथी अजित सिंह भोगल के हाथों फीता काटकर पूरे विधि-विधान के साथ मंत्रोच्चार के बीच गृह प्रवेश किया। इस अवसर पर छत्तीसगढ़ के लोक नृत्य कर्मा एवं आतिशबाजी से अतिथियों की अगुवानी कर पुष्पहार से उनका आत्मीय स्वागत किया गया। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि एवं गुरु तेग बहादुर शिक्षण समिति बिलासपुर के अध्यक्ष अजीत सिंह भोगल ने कहा कि उनकी इच्छा थी कि रिटायरमेंट के बाद साथी गनपत स्थायी रूप से बिलासपुर में बसे , लेकिन इस क्षेत्र के प्रति उनका लगाव और ग्रामीणों को आगे बढ़ाने की सोच के आगे उन्हें अपना निर्णय बदलना पड़ा। गनपत चौहान अब पतरापाली में रहकर क्षेत्र की सेवा करेंगे। उन्होंने श्री चौहान को गृह प्रवेश एवं जन्मदिन की शुभकामनाएं दी और आत्मीय अभिनंदन के लिये खुले मन से उनकी सराहना की। इसके पूर्व ग्राम पंचायत फगुरम के सरपंच गुलाब सिंह राठिया एवं नारायण सिंह राठिया ने मजदूर नेता श्री चौहान के सादगीपूर्ण जीवन और स्वच्छ विचारों की प्रशंसा की,उन्होंने कहा कि मौजूदा परिवेश में वे छत्तीसगढ़ के गांधी जैसे हैं। समाज के गरीब किसान,मजदूरों के लिये आज भी उनका संघर्ष जारी है। बबलू राजपूत , लक्ष्मण श्रीवास,बुजु वर्मा,पीके नायडू बिलासपुर ने भी अपने विचार रखे और क्षेत्र के विकास के लिये श्री चौहान की सक्रियता की सराहना की। इस दौरान मजदूर नेता गनपत चौहान ने अतिथियों के प्रति आभार ज्ञापित करते हुए कहा कि श्री भोगल उनके विपरीत परिस्थितियों के साथी हैं,वे सालों से यहां आते रहे हैं,और क्षेत्र को बेहतर जानते हैं। उन्होंने बचपन के साथी अजित भोगल से जुड़े अनेक संस्मरण भी सुनाए।

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